
नवरात्रि पर विशेषमोजे रात में सुखाकर मेरे रूम के टेबल पर रख दिए गए थे। प्रेसबंद पेंट-शर्ट कबर्ड में टंग चुके थे। चाय ऊबलने की खुशबू आ रही थी। चाय की खुशबू में चावल के पकने की खुशबू कुकर की सिटी से निकल कर मेरे भीतर तक अजीब-सा घालमेल कर रही थी।
नींद खुलने के बाद भी तब तक पलंग पर सोता रहता हूँ जब तक कि माँ कह न दें की 7 बज गए हैं, चाय तैयार है।
सचमुच इन सबसे पहले मेरे कानों में 6 बजे से ही बाथरूम में बाल्टी और पानी ढुलने की आवाज सुनाई देती रहती है फिर कुछ देर बाद गायत्री मंत्र की बुदबुदाहट और फिर अंतत: मेरे कानों में माँ आकर कहती है 7 बज गए है और चाय तैयार हैं।
कई सालों से यह क्रम जारी है। उस वक्त भी जब वह बीमार होती थी और उस वक्त भी जब मैं बीमार होता था। मैं बदलता रहा, लेकिन माँ कभी नहीं बदली। कितनी ही दफे कहा कि मत उठा करो इतनी सुबह मेरे लिए। मत चावल पकाया करो इतनी सुबह। कोई जरूरत नहीं है चाय बनाने की। तुमने मेरी आदतें बिगाढ़ रखी है।
गाँव में पहले नाना के लिए उठती रही। खेतों में काम करती रही। फिर मेरे पिता के लिए सुबह-सुबह उठकर तमाम तरह के उपक्रम करती रही और अब मेरे लिए! क्या यही है तुम्हारा जीवन। कभी दुनिया नहीं देखी। तीरथ जाने की आस आज तक मन में है। पड़ोस के मंदिर में भागवत सुनने से क्या भला होगा?
क्या तुमने कभी सोच की मैं शादी करके अपना घर बसा लूगाँ तो कितना ध्यान रख पाऊँगा तुम्हारा? क्या शादी के बाद आज तक कभी किसी ने अपनी माँ का उसी तरह ध्यान रखा जिस तरह की माँ रखती आई। क्या कोई बेटी ससुराल जाने के बाद मुलटकर देखती है उसी तरह जैसे कि बचपन में वह माँ को मुलटकर देखती थी?
मुझे बहुत गुस्सा आता था जब माँ कानों में कहती थी, 7 बज गए हैं चाय तैयार है। और जब मैं फिर भी नहीं उठता था तो टाँट कर कहती थी क्या स्कूल नहीं जाना है? और कई साल बाद आज भी कहती हैं क्या ऑफिस नहीं जाना है? चलो उठों, चाय तैयार है। समय पर ऑफिस पहुँचा करो।....लेकिन सच मानो आज तक में कहीं भी समय पर नहीं पहुँचा। शायद इस धरती पर भी नहीं.... हो सकता है कि जब मेरी मौत होगी तो वह भी बेसमय। यमराम भी कहेगा अरे कम से कम यहाँ तो समय पर आना चाहिए था। तुम लेट हो गए।
माँ को शतायु का शत शत प्रणाम :
सैन्स फ्रांसिक्कों का वह नागरिक था। नाम उसका डिसूजा था, जिनसे अपनी माँ को प्रेमिका के खातिर छोड़ दिया था। उसकी बहुत तरक्की हुई वह शिप पर सेलर हो गया। कई दफे काल आया कि तुम्हारी माँ बीमार है तुम्हें बस एक बार देखभर लेना चाहती है, लेकिन वह कभी नहीं गया गाँव, जबकि पत्नी के एक फोन पर वह छुट्टी की एम्पीकेशन सम्मीट कर देता था।
एक दिन समुद्र में जहाज पर वह था तो उसने दूर से देखा कि समुद्री तूफान उसके जहाज की ओर आ रहा है। सतर्कता के लिए सुरक्षित जगह की तलाश करके के लिए दौड़ता है तभी शिप के एक गलियारें में देखता है कि उसकी माँ खड़ी हुई है। वह दंग रह जाता है- 'माँ तुम यहाँ कैसे?'
कुछ नहीं बेटे मुझे अभी पता चला की सबसे नीचे के फ्लोर में पानी घुस गया है तुझे पीछे के रास्ते से निकलकर ऊपर रखी हुई मोटर बोट का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि तूफान बढ़ने वाला है और जहाज के डूबने की संभावना है।
'अच्छा लेकिन तुम यहाँ कैसे आई ये तो बताए?'
'मेरे प्यारे बेटे यह पूछने-ताछने का वक्त नहीं है, पहले अपनी जान बचाओ फिर सब बता दूँगी।'
'तुम भी चलो मेरे साथ'
'ठीक है तुम आगे-आगे चलो में पीछे से आती हूँ।'
डिसूजा दौड़ता हुआ ऊपरी हिस्से पर जाने लगता है तभी पीछे पलटकर देखता है कि माँ पता नहीं कहाँ चली गई। वह कुछ सोच पाता इसके पहले ही जहाज को जोर से एक झटका लगता है और वह तूफान से घिर जाता है। डिसूजा माँ कि फिकर किए बगैर लाइफ जैकेट पहनता है और मोटर बोट को ढुँढने के लिए माँ द्वारा बताए स्थान पर दौड़ पड़ता है।
.....उस तूफानी हादसे में अधिकतर लोगों की जान चली गई, लेकिन डिसूजा बच गया। दूसरे दिन डिसूजा के हाथ में एक पत्र होता है जिसमें लिखा होता है कि जब तक तुम्हारे पास यह पत्र पहुँचेगा तब तक तुम्हारी माँ को दफना दिया जाएगा यदि तुम उसकी शांति के पाठ में आना चाहो तो आ जाना....तुम्हारा पिता।
10 comments:
bahut badiya. navratron par ma ke samman me arpit tumara yah lekh pusp mujhe bahut bhaya.
मां की ममता का सजीव आलेख है। बहुत अच्छा लगा। कहा गया है-"मां की आंखों में आंसू आते हैं-बेटी को बिदा करते हैं जब और बेटा मुंह मोड लेता है तब"
Bahut hee marmik evam man ko gaharayee tak chhoone valee post.
bahut achchha laga
maa ka khyal rakhna achchhi baat he lekin apki baat imotions me bandhati he.imotions jyada der tak nahi bandhe rahte he.
Aankhen nam ho gayin..
Bahut bhavbheeni kahani...
गुरूदेव। नमस्कार।
इसलिए तो मित्र।
मैं जेब के तले एक दिल,
और दिल में एक माँ रखता हूँ।
great mother1 but where r great sons
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
Post a Comment